शुक्रवार, 3 अक्टूबर 2008
इक शमा और
प्यास महफ़िल की बुझा लूँ तो कहीं और चलूँ
इक शमा और जला लूँ तो कहीं और चलूँ |
झलक महबूब की है मेरे जो ख्वाबों में रही ,
दिले नादां में बसा लूँ तो कहीं और चलूँ |
ये ज़िन्दगी मेरी, देती है रंगी सपने ,
सूनी आँखों में बसा लूँ तो कहीं और चलूँ |
मिलन के बाद बिछड़ने के विरह की ये व्यथा ,
भीगी पलकों में छिपा लूँ तो कहीं और चलूँ |
मुकुट उंगली के तेरे नर्म हंसी पोरों का ,
बिखरी जुल्फों में सजा लूँ तो कहीं और चलूँ |
भटके हुये ख्वाब सजा लूँ तो कहीं और चलूँ,
एक ग़ज़ल और सुना लूँ तो कहीं और चलूँ |
"अनुपम " सपने हैं तेरे आँचल में ,
ख्वाब आंखों में सजा लूँ तो कहीं और चलूँ |
इक शमा और .........
अनुपम अग्रवाल
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26 टिप्पणियां:
शानदार लेखन ............. मैं जानता था जब आप लिखेंगे तो गज़ब ढाएँगे ................ये ज़िन्दगी मेरी, देती है रंगी सपने ,
सूनी आँखों में बसा लूँ तो कहीं और चलूँ |
मिलन के बाद बिछड़ने के विरह की ये व्यथा ,
भीगी पलकों में छिपा लूँ तो कहीं और चलूँ |
क्या बात है अनुपम जी .........
हिन्दी चिट्ठाजगत में आपका स्वागत है. नियमित लेखन के लिए मेरी हार्दिक शुभकामनाऐं.
वर्ड वेरिपिकेशन हटा लें तो टिप्पणी करने में सुविधा होगी. बस एक निवेदन है.
डेश बोर्ड से सेटिंग में जायें फिर सेटिंग से कमेंट में और सबसे नीचे- शो वर्ड वेरीफिकेशन में ’नहीं’ चुन लें, बस!!!
Aapki tippani ke liye dhanyawad. apne paas lila ki tasvirein uplabdh na hone ki vajah se post nahi kar paya tha.Internet se kuch tasveerein sangrah ki hain. Asha hai nai post pasand aayi hogi. Thanks.
हिन्दी चिट्ठाजगत में स्वागत है।
aap khwab to chahe jitane saja le magar ye blogers kee duniya aisi hai ki ek bar aakar koi ja nahin sakta
Behad pyare ehsaas dila gayeen aapki rachnayen...kitna quote karun? mujhe to ye apnee logbookme likhke mukhdgat karnaa hai..."Milanke baad bichhadneke virah kee ye wyatha,Bheegee palkonme chhipaa lun to kaheen aur chalun"
Doosreebhee kavita utneehee moh lene walee...apne priyko ham kahan, kahan nahee khoje, dhoondhte, mehsoos karte, aur wo khushbooki tarah hamare saanse aake guzar jaate hain...! Ham unke liye taraste reh jaate hain!
Agar aisahee padhne milnewala hai to mera baar baar ana hogahee hoga.
Aapkee tippaneeke tahe dilse shukriya!
सर नमस्कार
आपका ब्लॉग पड़ने मैं नही आ रहा शायद इन्टरनेट प्रॉब्लम ह.
राजेश जांगिड श्रीगंगानगर राजस्थान
वाह वाह सरजी, आते साथ धूम मचा दी, क्या कहना ! दोनों गज़लें एकदम फिट और हिट. लगातार लिखते रहें और मिलते रहें. शुभकामनाएँ. बाकी समीर लाल जी ने कह दिया है वो ज़रूर कर लें ताकि टिप्पणी में आसानी हो. आपका
ये ज़िन्दगी मेरी, देती है रंगी सपने ,
सूनी आँखों में बसा लूँ तो कहीं और चलूँ |
" mind blowing presentation, really liked it"
Regards
शुक्रिया ब्लाग पर आने के लिए। आपकी ऊपर की दोनों
रचनाओं से मुझे ये ज्यादा बहतर लगी। बधाई
बहुत खूब !
टके हुये ख्वाब सजा लूँ तो कहीं और चलूँ,
एक ग़ज़ल और सुना लूँ तो कहीं और चलूँ |
बहुत खूब........
इक शमा और
अनुपम जी बहुत अच्छी रचना है आप की...इसे ग़ज़ल कहना ठीक नहीं होगा हाँ इसे कविता जरूर कह सकते हैं...आप के पास शब्द और भाव बहुत अच्छे हैं...लिखते रहिये ...
नीरज
वाह! बहुत सुंदर।
ये ज़िन्दगी मेरी, देती है रंगी सपने ,
सूनी आँखों में बसा लूँ तो कहीं और चलूँ |
मिलन के बाद बिछड़ने के विरह की ये व्यथा ,
भीगी पलकों में छिपा लूँ तो कहीं और चलूँ.......
गहरी लाइने है .मज़ा आ गया .
आप के लिखावट में गहराई है । आप पढ़ने वाले को अपना दिवाना बना लेते है । मेरी ख्वाहिश है कि आपकी दिवानगी बनी रहे । मेरे खलिहान में भी आते रहे ।
Milan ke baad bichadne ke virah kee ye vyatha,
bhigi palkon mein chipa lun to kahin aur chaloon....
behad bhavpoorna ...
all the best..
बहुत खुबसूरत ख्याल है ख़्वाबों का......
हुज़ूर ! नई रचना के लिए आप की क़ीमती राए का इंतज़ार है,
और आप की अगली रचना का तो बेसब्री से इंतज़ार है
---मुफलिस---
anupamjee,
man choo gayee aapkee shayeeree.vaqt ke kisi mod par shayad main bhee aisa likhta.likha bhee tha.naheen socha tha ki 'milne ke baad bichadne ke virah kee vyatha ' ke daskon ke baad bhee uska firse ehsas karane ke liye aapkee pooree gazal kya ek satar hee kafee hai !
pooree sachchayee se kahee gayee anubhuti, vo bhee saraltam shabdon me.
vajuhaat vajeb ho ki kuch aur hon par aapkee shayiree ko salam karte huye ek geet apne blog par dene jaa raha hoon .shayad pasand hee aa jaye.
नया वर्ष मंगलमय हो !
"नव वर्ष २००९ - आप सभी ब्लॉग परिवार और समस्त देश वासियों के परिवारजनों, मित्रों, स्नेहीजनों व शुभ चिंतकों के लिये सुख, समृद्धि, शांति व धन-वैभव दायक हो॰॰॰॰॰॰॰॰॰॰ इसी कामना के साथ॰॰॰॰॰॰॰॰॰॰॰॰॰॰॰॰॰॰ नव वर्ष की हार्दिक शुभकामनाएं "
regards
भाई अनुपम जी
अनुपम अभिव्यक्ति के लिए बहुत-बहुत बधाई.
कमियाँ तो धीरे-धीरे बहुत से लोग बता देंगे
लेकिन
फिल्हाल यह दाद कुछ कहने की ,कुछ रचने की हिम्मत बटोरने के लिए है. जैसा समीर भाई साहब ने कहा है "नियमित लेखन" के लिए मेरी भी हार्दिक शुभकामनायें.
द्विजेन्द्र द्विज
''स्वामी विवेकानंद जयंती'' और ''युवा दिवस'' पर ''युवा'' की तरफ से आप सभी शुभचिंतकों को बधाई. बस यूँ ही लेखनी को धार देकर अपनी रचनाशीलता में अभिवृद्धि करते रहें.
बहुत सुंदर रचना .
बधाई
इस ब्लॉग पर एक नजर डालें "दादी माँ की कहानियाँ "
http://dadimaakikahaniya.blogspot.com/
सुंदर प्रस्तुति अच्छी ग़ज़ल मज़ा आ गया अग्रवाल जी
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