मंगलवार, 17 फ़रवरी 2009

मेरे ख्वाब तुझको लाते .....


मेरे ख्वाब तुझको लाते ,
हैं मेरे आस -- पास ..
हर ख्वाब से मै पूछूं ,
यूं तू ही क्यूँ है ख़ास ॥

क्यूँ दूर रहती मुझसे ,
मेरे दिल में तेरा वास ..
ख़्वाबों में गुमशुदा हो ,
इस गम में हूँ उदास ॥

तेरा रोम-रोम महके,
सुरभित है उच्छ्वास ..
ख़्वाबों में इस तरह ,
तू आये मेरे पास ॥

पंखों से हल्के हो के ,
उड़ने की ले के आस ..
फूलों की क्यारियों में ,
हम होंगे आस--पास ॥

इक ख्वाब का समुंदर ,
इक दर्दे-दिल हो पास ..
मै डुबकी लेता जब भी ,
मुझको हो तेरा भास ॥

मेरे ख्वाब तुझको लाते .........