मंगलवार, 17 फ़रवरी 2009

मेरे ख्वाब तुझको लाते .....


मेरे ख्वाब तुझको लाते ,
हैं मेरे आस -- पास ..
हर ख्वाब से मै पूछूं ,
यूं तू ही क्यूँ है ख़ास ॥

क्यूँ दूर रहती मुझसे ,
मेरे दिल में तेरा वास ..
ख़्वाबों में गुमशुदा हो ,
इस गम में हूँ उदास ॥

तेरा रोम-रोम महके,
सुरभित है उच्छ्वास ..
ख़्वाबों में इस तरह ,
तू आये मेरे पास ॥

पंखों से हल्के हो के ,
उड़ने की ले के आस ..
फूलों की क्यारियों में ,
हम होंगे आस--पास ॥

इक ख्वाब का समुंदर ,
इक दर्दे-दिल हो पास ..
मै डुबकी लेता जब भी ,
मुझको हो तेरा भास ॥

मेरे ख्वाब तुझको लाते .........

33 टिप्‍पणियां:

ताऊ रामपुरिया ने कहा…

तेरा रोम-रोम महके,
सुरभित है उच्छ्वास
ख़्वाबों में इस तरह ,
तू आये मेरे पास


वाह वाह अनुपमजी लाजवाब रचना. बहुत बधाई .

रामराम.

राज भाटिय़ा ने कहा…

क्यूँ दूर रहती मुझसे ,
मेरे दिल में तेरा वास ..
ख़्वाबों में गुमशुदा हो ,
इस गम में हूँ उदास ॥

वाह बहुत ही सुंदर.
धन्यवाद

नीरज गोस्वामी ने कहा…

उत्तम रचना है जी...प्रेम में डूबी हुई...

नीरज

vandana gupta ने कहा…

bahut badhiya rachna hai

बवाल ने कहा…

वाह वाह वाह वाह परम आदरणीय और परम प्रिय अनुपम साहब, क्या अन्दाज़ रहा आपके लौटने का। अहा!
इक ख्वाब का समुंदर,
इक दर्दे-दिल हो पास ..
मै डुबकी लेता जब भी ,
मुझको हो तेरा भास ॥
आज तो आपने ग़ज़ब ढ़ा दिया जी। बहुत ही बहुत सुन्दर कविता। हमने माँजी को भी सुनाई और वो भी आपको आशीर्वाद दे रही हैं इस कविता पर।

Mumukshh Ki Rachanain ने कहा…

वह क्या खूब लिखा है. निम्न पंक्तियों ने विशेष प्रभाव डाला ..
पंखों से हल्के हो के ,
उड़ने की ले के आस ..
फूलों की क्यारियों में ,
हम होंगे आस--पास ॥

वापसी से लगा की हम -आप ब्लॉग की क्यारी में एक बार फ़िर से पास -पास हो गए हैं.

चन्द्र मोहन गुप्त

seema gupta ने कहा…

पंखों से हल्के हो के ,
उड़ने की ले के आस ..
फूलों की क्यारियों में ,
हम होंगे आस--पास ॥
बहुत सुंदर और प्यारी नाजुक सी भावनाए.."

regards

बेनामी ने कहा…

namastey uncle...!!

bahut hi sunder rachna...
sunder abhivyakti.
"मेरे ख्वाब तुझको लाते ,
हैं मेरे आस -- पास ..
हर ख्वाब से मै पूछूं ,
यूं तू ही क्यूँ है ख़ास ॥"

Mumukshh Ki Rachanain ने कहा…

आपने चाहा और मैं अनुरोध न टाल सका.
फ़िर से आ गया अपने ब्लॉग पर.
नज़ारे इनायत करें.

चन्द्र मोहन गुप्त

अभिषेक मिश्र ने कहा…

पंखों से हल्के हो के ,
उड़ने की ले के आस ..
फूलों की क्यारियों में ,
हम होंगे आस--पास ॥

सुंदर और सहज भावनाएं. स्वागत.

मयंक ने कहा…

वियोगी होगा पहला कवि
आह से उपजा होगा गान....

शानदार.....देर आयद-दुरुस्त आयद

बेनामी ने कहा…

बहुत ही सुंदर अभिव्यक्ति. हमने भी दुबकी लगायी.आभार.

हरकीरत ' हीर' ने कहा…

मेरे ख्वाब तुझको लाते ,
हैं मेरे आस -- पास ..
हर ख्वाब से मै पूछूं ,
यूं तू ही क्यूँ है ख़ास .....


वाह वाह अनुपमजी बहुत सुंदर रचना.....!!

बेनामी ने कहा…

दिल को छू गई आपकी रचना।

Prakash Badal ने कहा…

वाह वाह जवानी छलक रही है। खूब अग्रवाल जी

Dr.Bhawna Kunwar ने कहा…

इक ख्वाब का समुंदर ,
इक दर्दे-दिल हो पास ..
मै डुबकी लेता जब भी ,
मुझको हो तेरा भास ॥

Bahut behatreen rachna, bahut2 badhai aapko...

BrijmohanShrivastava ने कहा…

नींद आती तो ख्वाब आते ,ख्वाब आते तो तुम आते ,जिन आँखों में कोई बसा हो उसे नींद कैसे आये

RAJ SINH ने कहा…

anupam bhayee!

arse se aap ke likhe ko padhne kee aas thee . isko apne shikayatname me bheja bhee . apne un khwabon ke daur me aapkee puranee rachnayen mere un ' khwabon' ko naye par de jatee theen !

par aaj ? kya kahoon ?

bas ye ki .......


SAB KHWAB MAR CHUKE HAIN ,
BAS......DHO RAHA HOON LASH !

ZINDGEE HAI SAPNON BINA ....?

NAHEEN !

SAPNON BINA ZINDGEE ? BAN RAHEGEE
LASH !

KUCH SAPNE ,JINHE KINHEEN HASEEN SAPNON KEE AAD ME, GRAHAN LAG GAYA THA, LAUT AAYE HAIN !

NIVEDAN HAI KI MEREE NAYEE POST 'MAA TUJHE SALAAM ' PADHEN , MERE SAMOOHIK BLOG 'MAA' PAR .
APNE VASTVIK AANAND ME DOOB GAYA HOON !

JARA SA INTEZAR KAREN .......MERE BLOG 'RAJSINHASAN....SAY' PAR EK BAHUT LAMBEE POST (SHRINKHALAON KE JHAMELE NAHEEN 'KAH DALO JO KAHNA HAI') DE RAHA HOON .

BAS ITNEE GAWAHEE DE JANA KI........ "PADH CHUKE HO AAP"

HAM KO BHEE KUCH LAGEGA "SAB KAH GAYE HAIN YAAR"

CHUPKE SE VO KAHENGE ........"SAB SUN RAHE HAIN YAAR"

SHUKRIYA DOST !
SHAYIREE ME TO KYA THAHARTA AAPKE SAAMNE ........HIMMAT ME BHEE AAP BEES NIKLE . SIRF PADHA HEE NAHEEN POOCHA BHEE.VAHEE TO BATANE JA RAHA HOON .SHAYAD AAP DUKHEE HON.......PAR VAHEE 'ABHEEST' BHEE HAI.....'ATAL'BHEE !

SAPREM !
RAJ

Prakash Badal ने कहा…

फिर से आया.........\\\\\ फिर पढ़ लिया<<>><<>><<>><<>> फिर अच्छा लगा........कहिये!!!!!! आप मेरा क्या बिगाड़ लेंगे????????

kumar Dheeraj ने कहा…

मेरे ख्वाब तुझको लाते ,
हैं मेरे आस -- पास ..
हर ख्वाब से मै पूछूं ,
यूं तू ही क्यूँ है ख़ास
रोचक और जिन्दगी से जुड़ी ये रचना अत्यंत रोचक लगी । दिल की गहराई तक पहुंच गया शुक्रिया

Prakash Badal ने कहा…

सर कुछ नया हो जाए अब तो!

daanish ने कहा…

bahut hi sundar rachna....
nav-geet ka anootha ehsaas dil ko
chhoo jata hai, aur mn trangit ho uthtaa hai aapki rachnaaeiN padh kar........
badhaaee. . . . .
---MUFLIS---

प्रदीप मानोरिया ने कहा…

बहुत बढिया सर अनुपम जी की अनुपम रचना

ताऊ रामपुरिया ने कहा…

आपको होली पर्व की परिवार सहित हार्दिक बधाई और घणी रामराम.

Sulabh Jaiswal "सुलभ" ने कहा…

मन को मोरा झकझोरे छेड़े है कोई राग
रंग अल्हड़ लेकर आयो रे फिर से फाग
आयो रे फिर से फाग हवा महके महके
जियरा नहीं बस में बोले बहके बहके...

आदरणीय हिंदी ब्लोगेर्स को होली की शुभकामनाएं और साथ में होली और हास्य
धन्यवाद.

कडुवासच ने कहा…

सुन्दर रचना।

योगेन्द्र मौदगिल ने कहा…

होली मुबारक....

हरकीरत ' हीर' ने कहा…

मेरे ख्वाब तुझको लाते ,
हैं मेरे आस -- पास ..
हर ख्वाब से मै पूछूं ,
यूं तू ही क्यूँ है ख़ास ॥

क्यूँ दूर रहती मुझसे ,
मेरे दिल में तेरा वास ..
ख़्वाबों में गुमशुदा हो ,
इस गम में हूँ उदास ॥

Kya bat hai Anupam ji....!! bhot khoob...!!

sandeep sharma ने कहा…

ख़्वाबों में गुमशुदा हो, इस गम में हूँ उदास...

सुन्दर रचना...

विक्रांत बेशर्मा ने कहा…

इक ख्वाब का समुंदर ,
इक दर्दे-दिल हो पास ..
मै डुबकी लेता जब भी ,
मुझको हो तेरा भास ॥


आपकी रचना बहुत ही खूबसूरत लगी !!!!!!!

Straight Bend ने कहा…

तेरा रोम-रोम महके,
सुरभित है उच्छ्वास

Yeh line achchi lagi !

बेनामी ने कहा…

बहुत ही खूबसूरत. आभार

Urmi ने कहा…

बहुत ही सुन्दर रचना है!