सोमवार, 18 मई 2009

मै खड़ा ही रहा....

मै खड़ा ही रहा.., पूछता पूछता...
उसने नज़रें झुकाई,जवाब हो गया ||

फलसफा ही पढ़ा था, सफा दर सफा,
उसने जो लिख दिया ,वो किताब हो गया ||

मैंने उम्र गुज़ारी ,उनके इंतजार में
वो मुस्कुरा जो दिए तो हिसाब हो गया ||

मै तरसता.. रहा... अपनी पहचान को ,
उसने नाम लिया , तो खिताब हो गया ||

दिल से मैंने, ये चाहा,भुलाऊँ उसे....
मेरा दिल ही.., मेरे ख़िलाफ़ हो गया ||

मै खड़ा ही रहा ......


मंगलवार, 17 मार्च 2009

फूलोँ की क्यारियों में ......मेरे ख्वाब ..

फूलों की क्यारियों में ,
हाथों में ले के हाथ |
नज़रों में ख्वाब ले के,
मह्केगें साथ साथ |

चाँदी की होंगी रातें ,
महुए की होगी छाँव |
वो दिलरुबा के वादों ,
कसमों का होगा साथ ||

एकांत में हो बातें ,
दरिया का हो किनारा |
बरसा करें घटाएं ,
अच्छा है उनका साथ ||

अरमाँ उन्हें बताएं ,
गोदी में रख के माथ |
अधरों पे प्यास ले के ,
दहकेंगे साथ -साथ ||

पलकें हों ऐसे भारी ,
बोझिल फलों से डाली |
झूमेगा जब भी ये मन ,
बहकेंगे साथ -साथ ||

हो चाँदनी भी रौशन ,
वो जब भी पास आयें |
जी भर करेंगे बातें ,
चहकेंगे साथ- साथ ||

मेरे ख्वाब उनको
लायेंगे मेरे साथ -साथ....
फूलों की क्यारियों में ,
हम होंगे साथ -साथ .......

मंगलवार, 17 फ़रवरी 2009

मेरे ख्वाब तुझको लाते .....


मेरे ख्वाब तुझको लाते ,
हैं मेरे आस -- पास ..
हर ख्वाब से मै पूछूं ,
यूं तू ही क्यूँ है ख़ास ॥

क्यूँ दूर रहती मुझसे ,
मेरे दिल में तेरा वास ..
ख़्वाबों में गुमशुदा हो ,
इस गम में हूँ उदास ॥

तेरा रोम-रोम महके,
सुरभित है उच्छ्वास ..
ख़्वाबों में इस तरह ,
तू आये मेरे पास ॥

पंखों से हल्के हो के ,
उड़ने की ले के आस ..
फूलों की क्यारियों में ,
हम होंगे आस--पास ॥

इक ख्वाब का समुंदर ,
इक दर्दे-दिल हो पास ..
मै डुबकी लेता जब भी ,
मुझको हो तेरा भास ॥

मेरे ख्वाब तुझको लाते .........