रविवार, 5 अक्तूबर 2008

तुझे ढूँढता हूँ मैं

मेरे दिल दिमाग पर ही , छाया है तेरा वजूद |
मै जगता हूँ या हूँ सोता , तुझे ढूँढता हूँ मै ||

न जाने किस तरह से , तूने ले लिया मेरा नाम |
उस नाम की ध्वनि में , तुझे ढूँढता हूँ मै ||

रातों को अक्सर आते , ही हैं तेरे अक्स और ख्वाब |
सुबह को आंख खुलने पर , तुझे ढूँढता हूँ मैं ||

ठंडी हवा की खुशबू में, कुछ है तेरा अहसास |
उस खुशबू और खुमारी में , तुझे ढूँढता हूँ मैं ||

काली और स्याह रातों , को जो ख़त्म करेगी |
सुंदर , सुनहरी किरणों में , तुझे ढूँढता हूँ मैं ||

धरती पे बिछ गयी है, चादर जो चांदनी |
उस चांदनी की रोशनी में , तुझे ढूँढता हूँ मैं ||

मेरे दिल के सागरों में , तेरा नाम देता लहरें |
लहरों की वादियों में , तुझे ढूँढता हूँ मैं ||

मेरे दिल दिमाग पर ही .........

19 टिप्‍पणियां:

शोभा ने कहा…

अच्छा लिखा है. बधाई स्वीकारें.

36solutions ने कहा…

स्‍वागत

अभिषेक मिश्र ने कहा…

काली और स्याह रातों , को जो ख़त्म करेगी |
सुंदर , सुनहरी किरणों में , तुझे ढूँढता हूँ मैं ||
Acchi lagi panktiyan aapki. Shubhkaamnayein aur Swagat.

रश्मि प्रभा... ने कहा…

रातों को अक्सर आते , ही हैं तेरे अक्स और ख्वाब |
सुबह को आंख खुलने पर , तुझे ढूँढता हूँ मैं ||
बहुत ही सुंदर रचना.......

BrijmohanShrivastava ने कहा…

सर जी /मै बहुत शर्मिन्दा हूँ जो इनते अच्छे रचना कार के ब्लॉग पर इतने विलंब से आया /अपराध की क्षमा मागते हुए निवेदन ==मै इस रचना की सुन्दरता का इसके भावः इसकी गंभीरता की कैसे तारीफ करूं उसे ढूंढ़ना बस यही एक लक्ष्य / उसका वजूद ढूंढ़ना ,ध्वनी में ढूंढ़ना ,सूबह आँख खुलने पर ,और त्रिविध समीर मै ,सुंदर और सुनहरी चांदनी में ,लहरों में =एक एक शब्द क्या सलमा सितारे जैसा जड़ा है /आपके ब्लॉग पर जाते ही और आपके दर्शन करते ही एक आत्मानुभूती हुई और तभी मैं समझ गया था कि बिल्कुल सही जगह पर आ गया हूँ/

BrijmohanShrivastava ने कहा…

दीपावली की हार्दिक शुभ कामनाएं /दीवाली आपको मंगलमय हो /सुख समृद्धि की बृद्धि हो /आपके साहित्य सृजन को देश -विदेश के साहित्यकारों द्वारा सराहा जावे /आप साहित्य सृजन की तपश्चर्या कर सरस्वत्याराधन करते रहें /आपकी रचनाएं जन मानस के अन्तकरण को झंकृत करती रहे और उनके अंतर्मन में स्थान बनाती रहें /आपकी काव्य संरचना बहुजन हिताय ,बहुजन सुखाय हो ,लोक कल्याण व राष्ट्रहित में हो यही प्रार्थना में ईश्वर से करता हूँ ""पढने लायक कुछ लिख जाओ या लिखने लायक कुछ कर जाओ "" कृपा बनाए रखें /

प्रदीप मानोरिया ने कहा…

बेहतरीन रचना सुंदर पंक्तियाँ और गहरे भाव बधाई आपका चिठ्ठा जगत में स्वागत है , निरंतरता की चाहत है मेरे ब्लॉग पर पधारे

गोविंद गोयल, श्रीगंगानगर ने कहा…

sir jee
jab tak tha dam me dam na dabe aasma se ham
jab dam nikal gya to jami ne daba liya

aapki pankiyan naye pan ka ahsas karwati hain

अभिषेक मिश्र ने कहा…

diwali ki shubhkaamnayin.

अनूप शुक्ल ने कहा…

सुन्दर!

seema gupta ने कहा…

मेरे दिल के सागरों में , तेरा नाम देता लहरें |
लहरों की वादियों में , तुझे ढूँढता हूँ मैं ||
" so emotional and touching..... really liked reading it"

yhan vhan,na jane kub khan khan,
ruh ke gehareyon se bus thuje dundtha hun main.....

regards

PREETI BARTHWAL ने कहा…

बहुत सुन्दर रचना

Gyan Dutt Pandey ने कहा…

बढ़िया है जी।
पचास साल की जिन्दगी में कहने को कुछ गद्य में भी होगा। उस विधा का भी प्रयोग करें - अच्छा लगेगा।
धन्यवाद।

रंजना ने कहा…

sundar abhivyakti......

Prakash Badal ने कहा…

लिखना जारी रहे।

हरकीरत ' हीर' ने कहा…

accha lga aapka blog.bdhai

डॉ. मनोज मिश्र ने कहा…

ठंडी हवा की खुशबू में, कुछ है तेरा अहसास |
उस खुशबू और खुमारी में , तुझे ढूँढता हूँ मैं ||
अच्छी लाइने हैं .आपकी रचनाओं में लालित्य भी है और भाव भी .
बधाई .

Prakash Badal ने कहा…

सफर आपका जारी रहे, आपका हर शेर हर रचना और पे भारी रहे।

Dev ने कहा…

Nice poen...
मेरे दिल दिमाग पर ही , छाया है तेरा वजूद |
मै जगता हूँ या हूँ सोता , तुझे ढूँढता हूँ मै ||

Man yhi harpal yaad karta hai...kisi ko.
Ragards.